

भारत में कोरोना का संकट गहराता जा रहा है और रोज़ हज़ारों की तादाद में नए केस आ रहे हैं. लॉकडाउन के बावजूद केस काम नहीं हो रहे हैं और आम जनता का हाल बुरा होता जा रहा है.लॉकडाउन की वजह से गरीबों और मज़दूरों का जीवन बहुत कठिन हो गया है। इन सबको देखते हुवे भारत सरकार ने देश को कोरोना के केस के हिसाब से तीन ज़ोन में बांटा है और हर ज़ोन के लिए अलग अलग कानून बनाया है।
रेड जोन , ऑरेंज जोन और ग्रीन जोन। रेड ज़ोन दर्शाता है कि वह इलाक़ा कोरोना से बहुत ज़्यादा प्रभावित है और वहां बहुत काम गतिविधि की इजाज़त होगी। ऑरेंज जोन वह है जहां कोरोना का कहर बहुत काम है और ग्रीन जोन में उन इलाक़ों को रखा गया है जहां कोरोना के मामले नहीं हैं.
यह बात हम सब जानते हैं कि लाल रंग को खतरे की निशानी समझा जाता है और इसी वजह से जब भारत को कोरोना केस के हिसाब से तीन जोन में बांटा गया तो सब से ज़्यादा केस वाले जगहों को रेड ज़ोन में रखा गया लेकिन सुदर्शन न्यूज़ के एडिटर को इसपर आपत्ति है और उसका कहना है कि जहां सबसे ज़्यादा पॉजिटिव केस है उसको ” ग्रीन जोन ” कहा जाए। सुरेश chavhanke ने ट्वीट किया।
#कोरोना प्रभावित ज़ोन के रंगों को निर्धारित करने पर मुझे सख्त आपत्ति है..
जहां सबसे ज़्यादा पॉज़िटिव है वो "रेड" नहीं बल्कि "ग्रीन ज़ोन" कहा जाए और #Corona मुक्त क्षेत्रो को "ऑरेंज ज़ोन" माना जाय..#Covid_19india @narendramodi @rashtrapatibhvn
— Suresh Chavhanke “Sudarshan News” (@SureshChavhanke) May 3, 2020
यह मानसिकता दरअसल एक खास समुदाय की नफरत में कुछ लोगों में पैदा हो रही है.इस ट्वीट के बाद बहुत से लोगों ने इसपर अपनी राय दी और उसकी सोच को नाकारा लेकिन सब से सटीक तंज़ किया है कांग्रेस नेता अलका लाम्बा ने। उन्होंने अपने ट्वीटर पर जवाब देते लिखा.
आज से #अंधभक्त हर #हरे रंग का बहिष्कार करेगें,
जैसे,अंधभक्त #हरे-भरे पेड़ों से #ऑक्सीजन नहीं लेगें,
जैसे, अंधभक्त हरी #सब्जियाँ नहीं खाएंगे,जैसे अंधभक्त अब हरी #बत्ती पर नहीं रुकेंगे,
अंडभक्त #रेड को ग्रीन और #ग्रीन को रेड पढ़ कर उस ज़ोन में प्रवेश करेगें,
मज़ा ही आ जाएगा🤣 https://t.co/ItFPqzHZBQ— Alka Lamba – अलका लाम्बा🇮🇳 (@LambaAlka) May 3, 2020
बता दें कि कल से तीन ज़ोन के हिसाब से लॉक डाउन 3.0 शुरू होने जा रहा है जो 17 मई तक चलेगा।