

अक्सर कहा जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधीने अपनी नाक की प्लास्टिक सर्जरी कराई थी. लेकिन ये सच्चाई नहीं है. हां ये जरूर हुआ था कि एक जनसभा में इंदिरा पर ईंट फेंकी गई. वो सीधे आकर उनके नाक पर लगी और खून बहने लगा. इसके बाद भी वो नाक से रूमाल से दबाकर भाषण देती रहीं. इसके बाद कोलकाता में भी जाकर जनसभा को संबोधित किया. बाद में उनकी नाक का आपरेशन करना पड़ा था।
ये फरवरी 1967 के चुनावों की बात है. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी घूम घूमकर देशभर चुनाव प्रचार कर रही थीं. हालांकि उस समय भी देश में ज्यादातर लोगों को भ्रम था कि इंदिरा इतनी सुकोमल हैं कि देश के प्रधानमंत्री का भार नहीं उठा सकतीं. लेकिन वो लगातार ऐसी बातों को गलत साबित कर रहीं थीं.
1967 के चुनावों में वो देश के दूरदराज के हिस्सों में गईं. लाखों लोग खुद ब खुद उनका भाषण करने के लिए इकट्ठा होते थे।
भुवनेश्वर में उन पर फेंकी गई थी ईंट
एेसे ही चुनाव प्रचार के सिलसिले में जब वो ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर गईं, तो वहां भीड़ में कुछ उपद्रवी भी थे. जिसके कारण भीड़ को नियंत्रण में रखना आयोजकों के लिए मुश्किल हो गया. वो बोल ही रही थीं कि उपद्रवियों ने पथराव शुरू कर दिया।
एक ईंट का टुकड़ा आकर उनकी नाक पर लगा. खून बहने लगा. सुरक्षा अधिकारी उन्हें मंच से हटा ले जाना चाहते थे. स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता अनुरोध करने लगे कि वो मंच के पिछले हिस्से में जाकर बैठ जाएं. मगर इंदिरा ने किसी की नहीं सुनी.
खून से डूबी नाक रूमाल से दबाकर खड़ी रहीं
वो खून से डूबी नाक को रूमाल से दबाए निडरता से क्रुद्ध भीड़ के सामने खड़ी रहीं. उन्होंने उपद्रवियों को फटकारते हुए कहा, ये मेरा अपमान नहीं है बल्कि देश का अपमान है. क्योंकि प्रधानमंत्री होने के नाते मैं देश का प्रतिनिधित्व करती हूं. इस घटना से सारे देश को गहरा झटका लगा.
फिर कोलकाता में भी भाषण दिया
इस घटना के बाद उनके स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों ने उनसे दिल्ली लौटने का अनुरोध किया लेकिन उन्होने इसे भी नहीं माना. वो अगली जनसभा के लिए कोलकाता रवाना हो गईं. उन्होंने टूटी नाक पर पट्टी लगवा कोलकाता में लोगों के सामने भाषण दिया।
हालांकि बाद में वो मजाक में कहती थीं कि मुझे तो लग रहा था कि डॉक्टर प्लास्टिक सर्जरी करके मेरी नाक को सुंदर बना देंगे. आप तो जानते ही हैं कि मेरी नाक कितनी लंबी है लेकिन इसे खूबसूरत बनाने का एक मौका हाथ से निकल गया. कमबख्त डॉक्टरों ने कुछ नहीं किया. मैं वैसी की वैसी ही रह गई।
न्यूज़ 18 इनपुट