
दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर नज़र रखने वाली अमरीकी संस्था ने यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ़्रीडम (USCIRF) ने साल 2020 के लिए अपनी सालाना रिपोर्ट जारी कर दी है.इस रिपोर्ट में भारत को उन 14 देशों के साथ रखने का सुझाव दिया है जहां ‘कुछ ख़ास चिंताएं’ हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत उन देशों में शामिल है जहां धार्मिक अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न लगातार बढ़ रहा है.
अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में लिखा है, “साल 2004 के बाद ये पहली बार है जब USCIRF ने भारत को ‘कुछ ख़ास चिंताओं’ वाले देशों की सूची में शामिल करने का सुझाव दिया है.”
USCIRF की उपाध्यक्ष नेन्डिन माएज़ा ने कहा, “भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी से लाखों भारतीय मुसलमानों को हिरासत में लिए जाने, डिपोर्ट किए जाने और स्टेटलेस हो जाने का ख़तरा है.”
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस को ख़ारिज करते हुवे कहा, “हम इस रिपोर्ट के दावों को ख़ारिज करते हैं. इसमें भारत के खिलाफ़ की गई भेदभावपूर्ण और भड़काऊ टिप्पणियों में कुछ नया नहीं है लेकिन इस बार ग़लत दावों का स्तर एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है.”
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक आज़ादी ‘तेज़ी से गिरावट’ आई है और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ होने वाला उत्पीड़न बढ़ा है.
हालांकि रिपोर्ट जारी करने वाले पैनल के नौ में से दो सदस्यों ने भारत को ‘ख़ास चिंताओं वाले देशों’ (CPC) की श्रेणी में रखे जाने का विरोध किया. एक अन्य सदस्य ने भी बाकी सदस्यों से अलग विचार ज़ाहिर किया
अमरीकी सरकार ने इंटरनेशनल रिलीजियस फ़्रीडम एक्ट की असफलता के बाद 1998 में USCIRF का गठन किया था. भारत शुरू से ही USCIRF के विचारों को मान्यता नहीं देता. पिछले एक दशक से ज़्यादा वक़्त से भारत संस्था के सदस्यों को वीज़ा भी नहीं देता है. इससे पहले भी भारत ने कहा था कि अमरीकी संस्था बिना पर्याप्त सबूतों के सिर्फ़ अपने पूर्वाग्रहों के आधार पर राय बनाती है.