

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने जामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा सफूरा जरगर की गिरफ्तारी मामले को लेकर ट्वीट किया है। इसमें वह लिखते हैं, सफूरा जरगर मामला देश में संस्थानों और लोकतंत्र के पूर्णत ढहने का प्रतीक है.वह लिखते हैं :
Safoora Zargar’s case is symbolic of the total collapse of democracy and state institutions in the country. pic.twitter.com/bVrgy0COjp
— Markandey Katju (@mkatju) May 7, 2020
” तिहाड़ जेल में बंद 27 वर्षीय गर्भवती कश्मीरी महिला सफूरा ज़गर का मामला देश में लोकतंत्र और राज्य संस्थानों के कुल पतन का प्रतीक है और फ्रांस में 19 वीं सदी के कुख्यात ड्रेफस मामले की याद दिलाता है, जिसके लिए प्रसिद्ध लेखक एमिल जोला ने एक शब्द कहा था जो मेरे लेख का शीर्षक है।
एक महिला जिसका केवल अपराध यह है कि वह, ( यह तथाकथित हो सकता है), नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध कर रही थी पर पुलिस द्वारा झूठे सबूतों का प्रयोग करके उत्तरी पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़काने का झूठा आरोप लगाया गया है।
निर्दोष लोगों को गिरफ्तार करने और चार्जशीट करने के लिए पुलिस द्वारा झूठे सबूत अक्सर पहले भी गढ़े जाते थे, लेकिन अब यह बहुत बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस, कई राज्यों की पुलिस की तरह, एक पिंजरे के तोते’ (जैसा कि पूर्व सीजेआई लोढ़ा ने सीबीआई के लिए इस्तेमाल किया था) की तरह है, लेकिन लेकिन न्यायापालिका, जिसे संविधान और लोगों के अधिकारों की संरक्षक समझा जाता है, कुछ इससे बेहतर कर पा रही है।”
बता दें कि सफूरा जरगर गर्भवती हैं और दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा मामले में उन्हें लॉकडाउन के दौरान गिरफ्तार किया हैं। इसके साथ ही छह अन्य लोगों को भी दिल्ली पुलिस ने दिल्ली में हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया हुआ है। इसको लेकर अब सवाल भी उठ रहे हैं।